तीन साल हो गए। 1000 दिन से ज्यादा क्या हुआ?
पहले एक नज़र 2014 के लोकसभा चुनाव पर।
2014 लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड 66.38% मतदान हुआ। बीजेपी 31 फीसदी वोट और 282 सीटों के साथ सत्ता में आ गयी।
132 करोड़ में से 81.45 करोड़ मतदाता रजिस्टर हैं।
66.38% मतदान का मतलब 55.7 करोड़ लोगों ने मतदान किया। जिसमें से बीजेपी को 31% वोट मिले। मतलब 17.26 करोड़ लोगों ने बीजेपी को वोट दिया। 132 करोड़ में से केवल 17.26 करोड़ वोट।
इन 17.26 करोड़ में से 4-5 करोड़ बीजेपी से नाराज हैं। नाराज ये बीजेपी से नहीं इनका स्वभाव ही ऐसा है। अब बचे 12 करोड़ भक्त।
132 करोड़ में से #12_करोड़_भक्तों के लिए दिन रात एक किये हुए "मोदी"।
********
तीन साल पुरे हो गए। 2014 से पहले कितने बड़े-बड़े काम होते थे। तब "घोटालों" को ही "काम" कहा जाता था। इतने काम हुए कि एक आम भारतीय कल्पना भी नहीं कर सकता। आधे काम (घोटाले) तो समझ ही नहीं आते आम जनता के।
काम कभी बोलता नहीं काम दिखता है।
राशन वितरण का काम बंद करते ही मोदी सरकार ने देश का करोडों रूपये लूटने वालों की लूट बंद करवा दी। NGO बंद करा दिए। दवाइयाँ बंद करा दी। युरिया पालिसी ले आये। युरिया में नीम कोटिंग कर दी।
और भी बहुत कुछ जैसे जन धन योजना, उज्वला योजना, हर गर्भवती महिला को महीने की 9 तारीख को फ्री में चेकअप चाहे वह अमीर परिवार की हो चाहे वह गरीब परिवार की हो और हर गर्भवती महिला को बच्चा होने पर 6000 आर्थिक सहायता। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता मिशन , 8000 किमी के हाइवे, 50 लाख मकान, करोड़ों शौचालय, 6 नये एम्स, Orop , 65 देशों से व्यापारिक रिश्ते, चीन को पीछे छोड़कर विकास दर 7.5 के ऊपर, मँहगाई 5 से नीचे, फसल बीमा, 12 रु में 2 लाख का बीमा।
ऐसे दसियों काम हैं जिसमें से बहुत से कामों की मेरे को जानकारी नहीं।
मेरी नज़र रहती है रक्षा, विज्ञान और सुचना टेक्नोलॉजी में ।
इसमें सर्जिकल स्ट्राइक, तीनों सेना को मजबूत बनाना, नोटबंदी करके नक्सलियों पाकिस्तानियों को दुखी करना, राफेल विमान का सौदा, सऊदी अरब में मंदिर, बुरहान वानी को ऊपर पहुँचना, अलगाववादी कश्मीरियों को औकात में लाना।
3 नयी पनडुब्बियाँ, तेजस विमान, धनुष तोप आदि-आदि।
रूस से पांच अरब डॉलर (33, 350 करोड़ से अधिक कीमत पर एस 400 ट्रिम्फ लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की खरीद के अलावा अन्य दो सौदों में चार एडमिरल ग्रिगोरोविच श्रेणी (प्रोजेक्ट 11356) निर्देशित मिसाइल ‘स्टील्थ फिग्रेट’ और कामोव हेलीकॉप्टरों के संयुक्त उत्पादन प्रतिष्ठान की स्थापना करना। हेलीकॉप्टरों और फ्रिगेट से जुड़े सौदे करीब एक अरब डॉलर (6,672 करोड़ रूपया) 50 करोड़ डॉलर (3, 336 करोड़ रूपया) कीमत के।
भारत अमेरिका से 145 एम- 777 अल्ट्रालाइट होवित्जर आर्टिलरी गन्स खरीदने वाला है। ये सौदा करीब 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर का होगा। पिछले 3 दशकों में ये पहला हथियार प्रणाली खरीद सौदा है।
फ़्रांस से करीब 60 हजार करोड़ की डील। 36 राफेल लड़ाकू विमान।
17 हज़ार करोड़ के सौदे इजराइल से। जिसमें भारत में ही बनाने वाले मिसाइल शामिल हैं।
ये तो बड़े सौदे हैं छोटो की तो गिनती ही नहीं।
2014 के बाद से ISRO और DRDO भी काम करने लगा है।
भारतीय मंगलयान प्रोजेक्ट इसरो ने भारत को दुनिया के नक्शे पर चमका दिया। और इस वजह से को बिजनेस मिला वो अलग।
फरवरी 2017 को पीएसएलवी-सी-37 के जरिये एक साथ 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक तय समय में पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करना इस काम में भी ‘इसरो’ ने पूरे विश्व में इतिहास रच दिया।
अपना देशी नेविगेशन सिस्टम अप्रैल 2016 को इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के सातवें उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। इसके साथ ही भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम के समान अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मिल गया। इससे पहले यह उपलब्धि केवल अमेरिका और रूस को ही हासिल थी।
बहुत काम हुए हैं। मगर मेरे को तो पेट्रोल चाहिए गाड़ी चलाने के लिए मेरे को दाल चाहिए । आत्मसम्मान स्वाभिमान से क्या करना।
इन सब के बीच में कुछ खबरे पड़ने को मिलती है विदेशी पेपरों में। एक खबर देखो
भारत गुप्त परमाणु शहर का निर्माण कर रहा है… उसने परमाणु हथियारों का जखीरा एकत्र कर लिया है जो क्षेत्र में सामरिक संतुलन को कमजोर करने का खतरा पैदा करता है।’
भारत अंतर-महाद्वीपीय मिसाइलों को लेकर परीक्षण करता रहा है जो ‘क्षेत्र में सामरिक संतुलन को बिगाड़ेंगी।’ खतरनाक हथियार रखने के लिए चल रहे ‘भारतीय अभियान’ पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संज्ञान लेना चाहिए और उसके पारंपरिक और गैर पारंपरिक हथियारों के ‘तेजी से विस्तार’ पर अंकुश लगाना चाहिए।
पढ़ कर अच्छा लगता है। बहुत कुछ ऐसा भी है जो आम जनता को पता नहीं होता।
काम बोलता नहीं दिखता है।
इस काम को देखने के लिए आँखे नहीं दिमाग चाहिए। इतना सब कुछ होने पर भी।
वो 66 साल का आदमी सब की गालियाँ खाता है।
पहले एक नज़र 2014 के लोकसभा चुनाव पर।
2014 लोकसभा चुनाव में रिकॉर्ड 66.38% मतदान हुआ। बीजेपी 31 फीसदी वोट और 282 सीटों के साथ सत्ता में आ गयी।
132 करोड़ में से 81.45 करोड़ मतदाता रजिस्टर हैं।
66.38% मतदान का मतलब 55.7 करोड़ लोगों ने मतदान किया। जिसमें से बीजेपी को 31% वोट मिले। मतलब 17.26 करोड़ लोगों ने बीजेपी को वोट दिया। 132 करोड़ में से केवल 17.26 करोड़ वोट।
इन 17.26 करोड़ में से 4-5 करोड़ बीजेपी से नाराज हैं। नाराज ये बीजेपी से नहीं इनका स्वभाव ही ऐसा है। अब बचे 12 करोड़ भक्त।
132 करोड़ में से #12_करोड़_भक्तों के लिए दिन रात एक किये हुए "मोदी"।
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तीन साल पुरे हो गए। 2014 से पहले कितने बड़े-बड़े काम होते थे। तब "घोटालों" को ही "काम" कहा जाता था। इतने काम हुए कि एक आम भारतीय कल्पना भी नहीं कर सकता। आधे काम (घोटाले) तो समझ ही नहीं आते आम जनता के।
काम कभी बोलता नहीं काम दिखता है।
राशन वितरण का काम बंद करते ही मोदी सरकार ने देश का करोडों रूपये लूटने वालों की लूट बंद करवा दी। NGO बंद करा दिए। दवाइयाँ बंद करा दी। युरिया पालिसी ले आये। युरिया में नीम कोटिंग कर दी।
और भी बहुत कुछ जैसे जन धन योजना, उज्वला योजना, हर गर्भवती महिला को महीने की 9 तारीख को फ्री में चेकअप चाहे वह अमीर परिवार की हो चाहे वह गरीब परिवार की हो और हर गर्भवती महिला को बच्चा होने पर 6000 आर्थिक सहायता। बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ, स्वच्छता मिशन , 8000 किमी के हाइवे, 50 लाख मकान, करोड़ों शौचालय, 6 नये एम्स, Orop , 65 देशों से व्यापारिक रिश्ते, चीन को पीछे छोड़कर विकास दर 7.5 के ऊपर, मँहगाई 5 से नीचे, फसल बीमा, 12 रु में 2 लाख का बीमा।
ऐसे दसियों काम हैं जिसमें से बहुत से कामों की मेरे को जानकारी नहीं।
मेरी नज़र रहती है रक्षा, विज्ञान और सुचना टेक्नोलॉजी में ।
इसमें सर्जिकल स्ट्राइक, तीनों सेना को मजबूत बनाना, नोटबंदी करके नक्सलियों पाकिस्तानियों को दुखी करना, राफेल विमान का सौदा, सऊदी अरब में मंदिर, बुरहान वानी को ऊपर पहुँचना, अलगाववादी कश्मीरियों को औकात में लाना।
3 नयी पनडुब्बियाँ, तेजस विमान, धनुष तोप आदि-आदि।
रूस से पांच अरब डॉलर (33, 350 करोड़ से अधिक कीमत पर एस 400 ट्रिम्फ लंबी दूरी की वायु रक्षा प्रणाली की खरीद के अलावा अन्य दो सौदों में चार एडमिरल ग्रिगोरोविच श्रेणी (प्रोजेक्ट 11356) निर्देशित मिसाइल ‘स्टील्थ फिग्रेट’ और कामोव हेलीकॉप्टरों के संयुक्त उत्पादन प्रतिष्ठान की स्थापना करना। हेलीकॉप्टरों और फ्रिगेट से जुड़े सौदे करीब एक अरब डॉलर (6,672 करोड़ रूपया) 50 करोड़ डॉलर (3, 336 करोड़ रूपया) कीमत के।
भारत अमेरिका से 145 एम- 777 अल्ट्रालाइट होवित्जर आर्टिलरी गन्स खरीदने वाला है। ये सौदा करीब 75 करोड़ अमेरिकी डॉलर का होगा। पिछले 3 दशकों में ये पहला हथियार प्रणाली खरीद सौदा है।
फ़्रांस से करीब 60 हजार करोड़ की डील। 36 राफेल लड़ाकू विमान।
17 हज़ार करोड़ के सौदे इजराइल से। जिसमें भारत में ही बनाने वाले मिसाइल शामिल हैं।
ये तो बड़े सौदे हैं छोटो की तो गिनती ही नहीं।
2014 के बाद से ISRO और DRDO भी काम करने लगा है।
फरवरी 2017 को पीएसएलवी-सी-37 के जरिये एक साथ 104 उपग्रहों को सफलतापूर्वक तय समय में पृथ्वी की कक्षा में स्थापित करना इस काम में भी ‘इसरो’ ने पूरे विश्व में इतिहास रच दिया।
अपना देशी नेविगेशन सिस्टम अप्रैल 2016 को इंडियन रीजनल नेविगेशन सैटेलाइट सिस्टम के सातवें उपग्रह का सफलतापूर्वक प्रक्षेपण किया गया। इसके साथ ही भारत को अमेरिका के जीपीएस सिस्टम के समान अपना खुद का नेविगेशन सिस्टम मिल गया। इससे पहले यह उपलब्धि केवल अमेरिका और रूस को ही हासिल थी।
बहुत काम हुए हैं। मगर मेरे को तो पेट्रोल चाहिए गाड़ी चलाने के लिए मेरे को दाल चाहिए । आत्मसम्मान स्वाभिमान से क्या करना।
इन सब के बीच में कुछ खबरे पड़ने को मिलती है विदेशी पेपरों में। एक खबर देखो
भारत गुप्त परमाणु शहर का निर्माण कर रहा है… उसने परमाणु हथियारों का जखीरा एकत्र कर लिया है जो क्षेत्र में सामरिक संतुलन को कमजोर करने का खतरा पैदा करता है।’
भारत अंतर-महाद्वीपीय मिसाइलों को लेकर परीक्षण करता रहा है जो ‘क्षेत्र में सामरिक संतुलन को बिगाड़ेंगी।’ खतरनाक हथियार रखने के लिए चल रहे ‘भारतीय अभियान’ पर अंतरराष्ट्रीय समुदाय को संज्ञान लेना चाहिए और उसके पारंपरिक और गैर पारंपरिक हथियारों के ‘तेजी से विस्तार’ पर अंकुश लगाना चाहिए।
पढ़ कर अच्छा लगता है। बहुत कुछ ऐसा भी है जो आम जनता को पता नहीं होता।
काम बोलता नहीं दिखता है।
इस काम को देखने के लिए आँखे नहीं दिमाग चाहिए। इतना सब कुछ होने पर भी।
वो 66 साल का आदमी सब की गालियाँ खाता है।

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