बहुत से मित्र ‘अल-तकिया’ के बारे में जानना चाहते है तो आप इस लेख को पढ़कर जानिये की क्या है ‘अल-तकिया’ मुसलमानों का सबसे ताकतवर हथियार ‘अल-तकिया’ है, इसने इस्लाम के प्रचार-प्रसार में जितना योगदान दिया है उतना इनकी सैंकड़ों हजारों कायरों की सेनायें नहीं कर पाई।
‘अल-तकिया’ के अनुसार यदि इस्लाम के प्रचार-प्रसार अथवा बचाव के लिए किसी भी प्रकार का झूठ, धोखा, छद्म करना पड़े सब मजहब में स्वीकृत है ।
इस प्रकार ‘अल-तकिया’ ने मुसलामानों को सदियों से बचाए रखा है ।
मुसलमानों के विश्वासघात के उदाहरण
- मुहम्मद गौरी ने 17 बार कुरआन की कसम खाई थी कि भारत पर हमला नहीं करेगा, लेकिन हमला किया ।
- अलाउद्दीन खिलजी ने चित्तौड़ के राणा रतन सिंह को दोस्ती के बहाने बुलाया फिर क़त्ल कर दिया ।
- औरंगजेब ने शिवाजी को दोस्ती के बहाने आगरा बुलाया फिर धोखे से कैद कर लिया ।
- औरंगजेब ने कुरआन की कसम खाकर श्री गोविन्द सिंह को आनंदपुर से सुरक्षित जाने देने का वादा किया था फिर हमला किया था।
- अफजल खान ने दोस्ती के बहाने शिवाजी की हत्या का प्रयत्न किया था ।
- मित्रता की बातें कहकर पाकिस्तान ने कारगिल पर हमला किया था ।
लोगों का विश्वास उठ चुका है मुसलमानों से… और ये सिर्फ भारत की बात नहीं दुनिया के हर कोने में मुसलमानों को शक की नज़र से देखा जा रहा है… मगर मुसलमान खुद हकीकत से मुँह फेरे बैठे हैं… ये स्थिति बहुत खतरनाक है और विचार करने योग्य है..
मुसलमानों ने खुद को दुनिया दो हिस्सों में बाँट रखी है एक मुस्लिम समाज और दूसरा गैर मुस्लिम समाज... परेशानी यहीं से शुरू होती है... भाई-भाई बोलने की सारी बातें बेईमानी है जब दुनिया ही दो हिस्सों में बटी है इस्लामिक नज़रिये से…
इस्लाम की शिक्षा अब सब लोग समझ चुके हैं, काफिर, मुशरिक, मुनकिर… अब लोगों को समझ आ गया है। अब बच्चा-बच्चा जानता है कि काफिर किसको कहते हैं… और फिर आप बोलते हो की लोग नफरत क्यूँ कर रहे हैं? काफिर शब्द गाली की तरह इस्तेमाल करोगे फिर लोगों को समझोगे की काफिर मतलब सिर्फ वो जो अल्लाह को न माने... और शब्द के पीछे जो घृणा छिपी है उसको कैसे छिपाओगे?
लोग अब पढ़ रहे हैं और उनको पता है कि मुसलमानों का दिल पूरे दुनिया में शरिया लागू करने में लगा है... लोग गुगल+, ट्विटर, फेसबुक पर उसकी पैरवी करते हुए दिखते हैं और बोलते हो लोग नफरत करते हैं आपसे?
जिन-जिन लोगों ने हिन्दुओं और सिखों पर ज़ुल्म ढाये आप उनकी वकालत करते हो फिर बोलते हो हम लोग आपसे नफरत करते हैं?
मुसलमानों को पूरी दुनिया के मुसलमानों की फ़िक्र रहती है... जितना आक्रोश आपको इजरायल पर आता है उतना आपको अपने देश में हुये किसी और हादसे पर नहीं आता है... जितना नफरत आपको सच्चे राष्ट्रप्रेमियों पर आता है उतना नफरत आप देशद्रोहियों पर नहीं, और फिर बोलोगे की लोग आपको नफरत की नजर से देखते हैं... आपकी पसंदीदा पार्टी काँग्रेस है क्योंकि आप जानते हो कि काँग्रेस आपके एजेंडे पर काम कर रही है पर वही आपको जितना नफरत मोदी और आरएसएस से है ये सभी देखते हैं, मोदी स्वनफरत आपको गुजरात को लेकर है पर उसी गुजरात की साबरमती एक्सप्रेस आपको याद नही, परन्तु आरएसएस ने आपका क्या बिगाड़ा है जो उससे नफरत करते हो ? क्योंकि आरएसएस सिर्फ देशप्रेमी और सिर्फ अपने देश की बात करती है न की सिर्फ मुसलमानों के हित की....
अगर दिल में कुछ और हो और ज़बान पर कुछ और तो छोटे बच्चे भी आपकी नियत भाँप जाते हैं... बाकी दुनिया तो बड़ी और समझदार है... कैसे उम्मीद करते हो कि आप औरंगजेब और गौरी की तारीफ करो और लोग ये न समझ पाए की आपके दिल में क्या है? लोग कैसे मान जायें कि आप औरंगजेब की तारीफ़ करके उसकी शिक्षाओं को नहीं अपनाओगे भविष्य में?
मैं इस्लाम को इंसानियत का मज़हब उस दिन मानूंगा जिस दिन सऊदी अरब में मंदिर और गुरूद्वारे बनाने की इजाज़त मिलेगी और लोग खुले आम पूजा कर सकेंगे... इस बात की कोई दलील ही नहीं दी जाए कि वो इस्लामिक देश है... किसका इस्लामिक देश कैसा देश? अगर हम वहाँ दूसरे धर्मों को जगह नहीं दिलवा सकते हैं तो कम से कम वकालत तो न करें इस बात की और फिर किस मुँह से आप अन्य देशों में अपने लिए मस्जिद की माँग करके लाउडस्पीकर पर चिल्लाते हो और सबको ये बताते हो कि इस्लाम खतरे में है जाग जाओ?... भारत में बैठ के बोलोगे की सऊदी की पाक ज़मीन पर मंदिर नहीं बन सकता और फिर यहाँ लोग आपको गले लगायें?
अब तो पूरी दुनिया नफरत करने लगी है और लोग अब किसी भी रूप में इस्लाम को देखने के लिए भी नहीं तैयार हैं... होश में आ जाओ तो अच्छा है नहीं तो मिट जाओगे......
एक बात सच्चे राष्ट्रप्रेमियों या हिन्दुत्व प्रेमियों के लिए
हर मुसलमान अमेरिका से नफरत करता है, क्या आपने कभी जानने की कोशिश की? आजकल भारत में हमारे हिन्दू भाई बहन भी खूब जोरशोर से मोदी के खिलाफ आवाज़ बुलंद कर रहे है, क्या अपने सोचा कि आप किसी के झाँसे में आकर अपनी ही जड़ों में मट्ठा डाल रहे हैं?
जबसे ‘अल-तकिया’को जाना है तबसे मैं इसलिए किसी भी मुल्ले की बातों पर यकीन नहीं करती...
सही कहा आपने
जवाब देंहटाएं