शनिवार, 20 मई 2017

मैमूना बेगम की वास्तविकता

इंदिरा गाँधी का असली नाम मेमुना बेगम है अब इस कहानी पे थोड़ी सी रोशनी डालता हूँ आप लोग इसे शेयर करना ना भूले…

इंदिरा गाँधी कुछ कड़वी हकीकत से मैं भी आज आपको रूबरू करवाता हूँ ! इंदिरा प्रियदर्शिनी ने नेहरू राजवंश में अनैतिकता को नयी ऊँचाई पर पहुचाया। "बौद्धिक" इंदिरा को ऑक्सफोर्ड विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था लेकिन वहाँ से जल्दी ही पढ़ाई में खराब प्रदर्शन के कारण बाहर निकाल दी गयी। उसके बाद उनको शांतिनिकेतन विश्वविद्यालय में भर्ती कराया गया था, लेकिन गुरुदेव रवीन्द्रनाथ टैगोर ने उन्हें उसके दुराचरण के लिए बाहर कर दिया। 

शान्ति निकेतन से बहार निकाल जाने के बाद इंदिरा अकेली हो गयी। राजनीतिज्ञ के रूप में पिता राजनीति के साथ व्यस्त था और माँ तपेदिक से स्विट्जरलैंड में मर रही थी। उनके इस अकेलेपन का फायदा फ़िरोज़ खान नाम के व्यापारी ने उठाया। फ़िरोज़ खान मोतीलाल नेहरु के घर पे मँहगी विदेशी शराब की आपूर्ति किया करता था। फ़िरोज़ खान और इंदिरा के बीच प्रेम सम्बन्ध स्थापित हो गये । महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल डॉ. श्री प्रकाश नेहरू ने चेतावनी दी, कि फिरोज खान के साथ अवैध संबंध बना रहा था। 

फिरोज खान इंग्लैंड में तो था और इंदिरा के प्रति उसकी बहुत सहानुभूति थी। जल्द ही वह अपने धर्म का त्याग कर, एक मुस्लिम महिला बनीं और लंदन के एक मस्जिद में फिरोज खान से उसकी शादी हो गयी। इंदिरा ने नया नाम मैमुना बेगम रख लिया। उनकी माँ कमला नेहरू इस शादी से काफी नाराज़ थी जिसके कारण उनकी तबियत और ज्यादा बिगड़ गयी। 

नेहरू भी इस धर्म रूपांतरण से खुश नहीं थे क्योंकि इससे इंदिरा के प्रधानमंत्री बनने की सम्भावना खतरे में आ गयी। तो, नेहरू ने युवा फिरोज खान से कहा कि अपना उपनाम खान से गाँधी कर लो। परन्तु इसका इस्लाम से हिंदू धर्म में परिवर्तन के साथ कोई लेना देना नहीं था। यह सिर्फ एक शपथ पत्र द्वारा नाम परिवर्तन का एक मामला था और फिरोज खान फिरोज गाँधी बन गया है, हालांकि यह बिस्मिल्लाह शर्मा की तरह एक असंगत नाम है। दोनों ने ही भारत की जनता को मूर्ख बनाने के लिए नाम बदला था। जब वे भारत लौटे, एक नकली वैदिक विवाह जनता के उपभोग के लिए स्थापित किया गया था। 

इस प्रकार, इंदिरा और उसके वंश को काल्पनिक नाम गाँधी मिला। नेहरू और गाँधी दोनों फैंसी नाम हैं। जैसे एक गिरगिट अपना रंग बदलती है, वैसे ही इन लोगो ने अपनी असली पहचान छुपाने के लिए नाम बदले

के.एन. राव की पुस्तक "नेहरू राजवंश" (10: 8186092005 ISBN) में यह स्पष्ट रूप से लिखा गया है संजय गाँधी फ़िरोज़ गाँधी का पुत्र नहीं था, जिसकी पुष्टि के लिए उस पुस्तक में अनेक तथ्यों को सामने रखा गया है। उसमें यह साफ़ तौर पे लिखा हुआ है कि संजय गाँधी एक और मुस्लिम मोहम्मद यूनुस नामक सज्जन का बेटा था। दिलचस्प बात यह है कि एक लड़की मेनका का विवाह भी संजय गाँधी के साथ मोहम्मद यूनुस के घर में ही हुआ था। मोहम्मद यूनुस ही वह व्यक्ति था जो संजय गाँधी की विमान दुर्घटना के बाद सबसे ज्यादा रोया था। 'यूनुस की पुस्तक "व्यक्ति जुनून और राजनीति" (persons passions and politics )(ISBN-10: 0706910176) में साफ़ लिखा हुआ है कि संजय गाँधी के जन्म के बाद उनका खतना पूरे मुस्लिम रीति रिवाज़ के साथ किया गया था। 

कैथरीन फ्रैंक की पुस्तक "the life of Indira Nehru Gandhi (ISBN: 9780007259304) में इंदिरा गाँधी के अन्य प्रेम संबंधों के कुछ पर प्रकाश डाला है। यह लिखा है कि इंदिरा का पहला प्यार शान्ति निकेतन में जर्मन शिक्षक के साथ था। बाद में वह एमओ मथाई, (पिता के सचिव) धीरेंद्र ब्रह्मचारी (उनके योग शिक्षक) के साथ और दिनेश सिंह (विदेश मंत्री) के साथ भी अपने प्रेम संबंधों के लिए प्रसिद्ध हुई। पूर्व विदेश मंत्री नटवर सिंह ने इंदिरा गाँधी के मुगलों के लिए संबंध के बारे में एक दिलचस्प रहस्योद्घाटन किया अपनी पुस्तक "profiles and letters " (ISBN: 8129102358 ) में किया। यह कहा गया है कि 1968 में इंदिरा गाँधी भारत की प्रधानमंत्री के रूप में अफगानिस्तान की सरकारी यात्रा पर गयी थी । 

नटवरसिंह एक आईएफएस अधिकारी के रूप में इस दौरे पे गये थे। दिन भर के कार्यक्रमों के होने के बाद इंदिरा गाँधी को शाम में सैर के लिए बाहर जाना था । कार में एक लंबी दूरी जाने के बाद, इंदिरा गाँधी बाबर की कब्रगाह के दर्शन करना चाहती थी, हालांकि यह इस यात्रा कार्यक्रम में शामिल नहीं किया गया। अफगान सुरक्षा अधिकारियों ने उनकी इस इच्छा पर आपत्ति जताई पर इंदिरा अपनी जिद पर अड़ी रही । अंत में वह उस कब्रगाह पर गयी । यह एक सुनसान जगह थी। वह बाबर की कब्र पर सर झुका कर आँखें बंद करके खड़ी रही और नटवर सिंह उसके पीछे खड़े थे । जब इंदिरा ने उसकी प्रार्थना समाप्त कर ली तब वह मुड़कर नटवर से बोली "आज मैंने अपने इतिहास को ताज़ा कर लिया (Today we have had our brush with history "। यहाँ आपको यह बता दें कि बाबर मुग़ल साम्राज्य का संस्थापक था, और नेहरु खानदान इसी मुग़ल साम्राज्य से उत्पन्न हुआ। 

इतने सालों से भारतीय जनता इसी धोखे में है कि नेहरु एक कश्मीरी पंडित था… जो कि सरासर गलत तथ्य है। इस तरह इन नीचों ने भारत में अपनी जड़ें जमाई जो आज एक बहुत बड़े वृक्ष में तब्दील हो गया है , जिसकी महत्वाकांक्षी शाखाओं ने माँ भारती को आज बहुत जख्मी कर दिया है… यह मेरा एक प्रयास है कि आज इस सोशल मीडिया के माध्यम से ही सही मगर हकीकत से रूबरू करवा सकूँ !!! ताकि देश के प्रति यदि आपकी भी कुछ जिम्मेदारी बनती हो।

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