बुधवार, 17 मई 2017

आखिर देश के युनिवर्सिटीज और शिक्षण संस्थाओं का वामपंथीकरण कैसे हुआ?

मुगलों में बड़ी श्रद्धा दी इंदिरा को, 1970 के बाद शुरू हुआ भारत में शिक्षा का वामपंथीकरण
70 के दशक में इंदिरा गाँधी बहुत से चुनाव हार गयी... लगा की देश से अब काँग्रेस खत्म हो जाएगी.... खुद इंदिरा गाँधी बुरी तरह हार गयी थी...ऐसे में इंदिरा गाँधी को वामपंथियों की जरूरत पड़ी....

लेकिन लालू, ममता, शरद पवार, मुलायम सिंह जैसे लोग मलाईदार रेलवे, ट्रांसपोर्ट, रक्षा, गृह आदि मंत्रालय जिसमे खूब पैसा कमा सके उसकी माँग करते हैं... लेकिन वामपंथियों ने इंदिरा को मदद के बदले भारत की तमाम युनिवर्सिटीज में चांसलर, एनसीईआरटी, सीबीएससी, भारत इतिहास शोध संस्थान जैसे तमाम संस्थाओं में मुख्य पोजीशन की माँग की... ताकि देश के इतिहास और देश के युवाओं को वामपंथ के तरफ लाया जाए।

इंदिरा गाँधी को वामपंथियों की ये माँग बहुत छोटी लगी... लेकिन इंदिरा की सत्ता की हवस का खामियाजा देश को कई पीढ़ी तक भुगतना पड़ेगा...क्योकि वामपंथियों ने इतिहास को विकृत किया... बच्चों की किताबों में मनचाहे बदलाव किये... स्नातक और स्नातकोत्तर तक के पाठ्यक्रम को बदल दिया... और देश में वामपंथी विचार को खूब फैलाया।

नतीजा ये हुआ की दिल्ली विश्वविद्यालय, जेनयू, अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी, कोलकाता की जादवपुर युनिवर्सिटी, बनारस हिन्दू युनिवर्सिटी वड़ोदरा की एमएस युनिवर्सिटी सहित तमाम शिक्षण संस्थाओं में वीसी से लेकर प्रोफेसर तक वामपंथी और माओवादी भर गये... और देश की तमाम युनिवर्सिटी को लाल रंग में रंग दिया।

आपको ये जानकर आश्चर्य होगा कि घोर हिन्दू विरोधी पेशे से एक वकील तीस्ता जावेद सीतलवाड़ और एक एनजीओ माफिया शबनम हाश्मी को काँग्रेस सरकारों ने 12वीं तक किताब पब्लिश करने वाली संस्था एनसीईआरटी की काउन्सिल में सर्वोच्च पद पर बैठाया था।

काँचा इलाया जिसने देश को महिषासुर शहीदी थ्योरी दिया जो कसाब और हाफिज सईद से हजारों गुना खराब है उसे भी एनसीईआरटी की काउन्सिल में रखा गया... युनिवर्सिटीज के लिए इतिहास लिखने के लिए घोर माओवादी और घोर हिन्दू विरोधी रोमिला थापर और रामचन्द्र गुहा को रखा गया... इन दोनों ने भारत के इतिहास को महाविकृत कर दिया... और इतिहास से हिन्दू शूरवीरों को पूरी तरह से हटा दिया....

इसी गंदे साजिश के तहत जेएनयु में रोमिला थापर और अलीगढ़ मुस्लिम युनिवर्सिटी में इरफ़ान हबीब को बैठा दिया गया जिन्होंने घोर हिन्दू विरोधी पाठ्यक्रम बनाया… और माओवादी विचार फैलाया।

जितने भी अच्छे रिसर्चर हुए उन्हें और उनके रिसर्च पेपर को गायब कर दिया गया... आज जेएनयु में आपको आरसी मजूमदार, जदुनाथ सरकार, एसआर राव जैसे सच्चे इतिहासकारों के रिसर्च पेपर गायब है... इनके किताबों को पाठ्यक्रम से भी हटा दिया गया।

अब मोदी जी के सामने सबसे बड़ी चुनौती है कि देश के शिक्षा जगत पर कुंडली मारे इन वामपंथी आतंकियों को एक-एक करके हटाया जाए... हमें ख़ुशी भी है की काफी जगहों से वामपंथी आतंकियों को लात मारा जा चुका है।

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